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भटका हुआ अकेला





भटका हुआ अकेला


 भटका हुआ अकेला,चलता रहा मैं पथ पर,
अनजान बस्तियों से,डर-डर,सहम-सहम कर।
ले आस एक दिल में ,कोई दोस्त तो मिलेगा-
पर जो मिले गले आ,उर में लिए थे विषधर ।।
      भटका हुआ अकेला..............।।

यहाँ आदमी ख़ुदा का,पैग़ाम ले के आया,
इंसान की तरह ही,रहने की क़समें खाया।
मिट्टी से जुड़ के उसने,नीयत भी गंदी कर ली-
खा-खा के क़समें फिर ,आता यहीं भटक कर।।
          भटका हुआ अकेला..........।।

गीता-क़ुरान-बाइबिल,यद्यपि कि ग्रंथ पावन,
करते हैं मार्ग-दर्शन,जब-जब डगर डरावन ।
जीवन के सूत्र पढ़कर,इन ग्रंथ से भी मानव-
जाने भटक क्यूँ जाता,वादों से यूँ मुकर कर??
         भटका हुआ अकेला............।।

कोई हज है जा के करता,करता है चारोधाम,
गिरजाघरों में जा-जा,ईसा का लेता  नाम  ।
गुरुद्वारे लोग जाकर,अरदास भी हैं करते-
पाले मग़र हैं रहते,मन में भी खोट बलभर।।
          भटका हुआ अकेला.............।।

जाती नहीं कुटिलता,भले तीर्थ सारे कर लें,
मिलती नहीं है मंज़िल,बिन लक्ष्य कोसों चल लें।
नीयत को शुद्ध रखना,संभव नहीं हुआ  तो-
छापा-तिलक व माला,फल देंगे उल्टा प्रियवर।।
          भटका हुआ अकेला..............।।

रहता है मन पवित्र तो चिंतन पवित्र होगा,
मन की ही शुद्धता से,कल्याण जग का होगा।
आराम तब है मिलता,भटके पथिक-हृदय को-
सद्कर्म का ही चिंतन,होए जगत में जम कर।।
          भटका हुआ अकेला.............।।

शुचि मन से लो गरल यदि,अमृत वही है बनता,
उत्तुंग गिरि-शिखर पर,दिव्यांग भी  है चढ़ता ।
निर्मल ही मन से शंकर,विष-पान जो किए थे-
जगदीश बन गए वे,जिसमें  लगा  न पल-भर।।
           भटका हुआ अकेला..............।।



                   ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                     ९९१९४४६३७२


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3 Comments

बहुत ही उम्दा और खूबसूरत अभिव्यक्ति

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Gunjan Kamal

17-Nov-2023 05:58 PM

👏👌

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Reena yadav

17-Nov-2023 04:59 PM

👍👍

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